Minesh Chauhan

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लेखनी प्रतियोगिता -16-May-2022

शीर्षक - बेटियां



मां की दुलारी होती हैं बेटियां,
पापा की प्यारी होती हैं बेटियां।
क्या कहूं बेटियों के सम्मान में,
जग से न्यारी होती हैं बेटियां।

माता का सम्मान होती हैं,
पिता का अभिमान होती हैं।
जोड़ती हैं अनजानों को साथ,
दो परिवारों की शान होती हैं।

बिना कहे दर्द पहचान लेती हैं,
क्या है तकलीफ़ जान लेती हैं।
करती नहीं ज़िद ये ज्यादा,
प्यार से हर बात मान लेती हैं।

मत समझो इनको बेचारी,
शक्ति रुप होती हर नारी।
कर लेंगी अवसर मिलने पर,
मुट्ठी में ये दुनियां सारी।

इनके पंखों को उड़ान दो,
बेटी को बेटों सा मान दो।
ये भी नभ को छू सकती हैं,
खुला इन्हें यदि आसमान दो।


मीनेश चौहान "मीन"✍️
फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)


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11 Comments

Shrishti pandey

17-May-2022 10:25 AM

Nice

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Abhinav ji

17-May-2022 06:53 AM

Nice👍

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Farida

16-May-2022 08:18 PM

👌👌

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